Wednesday, July 8, 2020

मीट प्लांट के दर्द से मकान बेचने को मजबूर हुए लोग,मकानों पर लिखा- 'बिकाऊ है', कई बार शिकायतों के बाद भी प्लांट पर नहीं हुई कार्रवाई।

मीट प्लांट के दर्द से मकान बेचने को मजबूर हुए लोग,मकानों पर लिखा- 'बिकाऊ है', कई बार शिकायतों के बाद भी प्लांट पर नहीं हुई कार्रवाई।

 दिल्ली टाइम्स न्यूज ब्यूरो चीफ शामली 
              सलीम चौधरी

कैराना -आबादी के बीच बीमारी बांट रहे मीट प्लांट की असहनीय बदबू से लोग आजिज आ चुके हैं। तमाम शिकायतें करने के बावजूद भी आज तक आबादी के बीच चल रहे इस मीट प्लांट के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाई हैं। मीट प्लांट से त्रस्त लोग अब अपने मकान बेचकर कहीं दूर बसने की फिराक में जुट गए हैं। कई लोगों ने मकानों पर 'बिकाऊ है' लिखवाते हुए अपना दर्द ब्यां करने की कोशिश की है, लेकिन जिम्मेदारों की खामोशी लोगों के इस दर्द को बढ़ाने का काम कर रही है।
   कैराना के कांधला रोड पर घनी आबादी के बीच मीम एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड (मीट प्लांट) का संचालन चल रहा है। मीट प्लांट से निकलने वाली भीषण दुर्गंध और प्रदूषण से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। बदबू इस कदर है कि प्लांट के आसपास रहने वाले लोग ठीक से सांस भी नहीं ले पाते हैं। प्लांट में रोजाना होने वाले सैंकड़ों पशुओं के कटान के अवशेष भी कई बार इधर-उधर फैले नजर आ चुके हैं, जबकि यहां पर अवैध रूप से मृत पशुओं के कटान के मामलात भी देखने को मिल चुके हैं। इन सबके बावजूद भी प्रदूषण का वाहक बना यह मीट प्लांट धड़ल्ले से चल रहा है। इन दिनों मीट प्लांट से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को लेकर लोगों की पीड़ा अब असहनीय हो गई है। मीट प्लांट के करीब लगने वाले मोहल्ला दरबारखुर्द रेतावाला के कई लोगों ने अपने मकानों को बेचने की ठान ली है। उनके द्वारा अपने मकानों पर 'यह मकान बिकाऊ है' तक लिखवा दिया गया है। अपने मकान पर 'बिकाऊ है' लिखवाने वाले मोहल्ला दरबारखुर्द रेतावाला निवासी सतीश ने बताया कि यहां मीट फैक्ट्री वजह से हवा में सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। कई बार शिकायत करने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। इसके चलते अब हम अपना मकान बेच रहे हैं। इसी मोहल्ले के अजय कुमार बताते हैं कि मीम एग्रो फैक्ट्री से सभी परेशान हैं। फैक्ट्री से निकलने वाली बदबू ने सबका जीना मुहाल कर दिया है। शिकायत करते हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। हम मकान बेचकर कहीं दूर चले जाना चाहते हैं। यही हालात यहां अन्य मकानों में रहने वाले लोगों की भी है। मोहल्ले के रहने वाले धर्मेंद्र, राज सिंह, ओमप्रकाश, मेनपाल, लक्ष्मण सिंह, ब्रिजपाल आदि के परिवारों ने घर बेचने की ठानते हुए एक बार फिर मीट प्लांट के खिलाफ आवाज मुखर की है।

फाइलों में दब गई जनता की आवाज
मीट प्लांट को बंद कराने या आबादी से बाहर शिफ्ट करने की मांग पूर्व की समाजवादी पार्टी के शासनकाल से ही चल रही है। एक दिन पूर्व भी व्यापार मंडल के पदाधिकारियों वअधिवक्ताओं ने प्लांट के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए एसडीएम कैराना को ज्ञापन सौंपा था। लेकिन, इसे प्लांट संचालकों की धाक कहें, या फिर पैसों का रूतबा, फिलहाल योगीराज में भी इस मीट प्लांट का कोई बाल भी बांका करने नजर नही आ रहा है। मीट प्लांट से उठने वाली भयंकर बदबू और बीमारियों में इजाफा होने की वजह से फिलहाल आस-पास की आबादी बुरी तरह से त्रस्त है।


आखिर कब होगी कार्रवाई ?
तमाम शिकायतों के बाद भी अधिकारी मीट प्लांट पर प्रभावी कार्रवाई के बजाय खानापूर्ति करते रहे हैं। इससे आज समस्या और बढ़ गई है। ऐसे में सवाल तो यह है कि क्या इस ओर उच्चाधिकारी द्वारा संज्ञान लेकर मीट प्लांट के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाएगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

इन्होंने कहा...
एसडीएम उद्भव त्रिपाठी से बातचीत की गई, तो उन्होंने कहा कि उनके संज्ञान में यह मामला नहीं हैं। वे मौके पर दिखवाते हैं

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